सम्पूर्ण जयमङ्गल अट्ठगाथा हिन्दी अर्थ के साथ | Jaymangal Atthagatha Lyrics with Full Hindi Explanation - Jay Bhim Talk

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Friday, March 8, 2024

सम्पूर्ण जयमङ्गल अट्ठगाथा हिन्दी अर्थ के साथ | Jaymangal Atthagatha Lyrics with Full Hindi Explanation

जयमङ्गल अट्ठगाथा सारे Lyrics और सम्पूर्ण अर्थ ( हिन्दी में ) के साथ 
jaymangal-atthagatha-in-hindi-by-jaybhimtalk
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जयमङ्गल अट्ठगाथा Lyrics 
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बाहुं सहस्समभिनिम्मित सायुधन्तं,
गिरिमेखलं उदित-होर-ससेनमारं।
दानादि धम्मविधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥1॥

मारातिरेकमभियुज्झित-सब्बरत्तिं,
घोरम्पनालवकमक्खमथद्ध-यक्खं।
खन्ती सुदन्त-विधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥2॥

नालागिरिं जगवरं अतिमत्तभूतं,
दावग्गि-चक्कमसनीव सुदारुणन्तं।
मेत्तम्बुसेक-विधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥3॥

उक्खित्त-खग्गमतिहत्थ-सुदारुणन्तं,
धावन्ति योजन-पथंगुलिमालवन्तं।
इद्धीभिसङ्खतमनो जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥4॥

कत्वान कट्ठमुदरं इव गब्धिनीया,
चिञ्चाय दुट्ठ वचनं जनकाय मज्झे।
सन्तेन सोम विधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥5॥

सच्चं विहाय-मतिसच्चक वादकेतुं,
वादाभिरोपित-मनं अति-अन्धभूतं।
पञ्ञापदीप-जलितो जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥6॥

नन्दोपनन्द-भुजगं विविधं महिद्धिं,
पुत्तेन थेर-भुजगेन दमापयन्तो।
इद्धूपदेस-विधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु ते जयमङ्गलानि॥7॥

दुग्गाहदिट्ठि-भुजगेन सुदट्ठ-हत्थं,
ब्रह्मं विसुद्धि-जुतिमिद्धि-बकाभिधानं।
ञाणागदेन विधिना जितवा मुनिन्दो,
तं तेजसा भवतु जयमङ्गलानि॥8॥
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जयमङ्गल अट्ठगाथा हिंदी में अर्थ और अनुवाद

हजारों भुजाओं वाले, सुदृढ हथियारों को धारण किए, गिरिमेखला नामक हाथी पर चढ़े हुए, अत्यंत भयानक, सेना सहित मार को मुनिन्द (बुद्ध) ने अपने दान आदि धम्म के बल से जीत लिया, उन सम्यक सम्बुद्ध के तेज से तेरा जय हो, मंगल हो. 1

मार के अतिरिक्त रात भर युद्ध करने वाले घोर दुर्द्धर्ष और कठोर ह्रदय वाले ‘आलवक’ यक्ष को, जिन मुनिन्द (बुद्ध) ने सहनशीलता व संयम बल से जीत लिया उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 2

दावानाल अग्नि-चक्र और विद्युत की तीव्र ज्वाला के समान अत्यन्त दारूण तथा अत्यंत मदमत्त नालागिरि गजराज को जिन मुनिन्द (बुद्ध) ने मैत्री रूपी जल वर्षा करके जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 3

हाथ में तलवा लेकर योजनों तक दौड़ने वाले अत्यंत भयानक अंगुलिमाल को जिन मुनिन्द ने अपनी ऋद्धि के बल से जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 4

पेट से काठ बांध कर सभी के बीच गर्भिणी की तरह व्यवहार करने वाली ‘चिञ्चा’ के अपशब्दों को जिन मुनिन्द ने अपने शांत व सोम्य बल से जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 5

सत्य को छोड़ कर असत्य के पोषक, अभिमानी, वाद-विवाद-परायण और अहंकार से अत्यंत अंधे हुए ‘सच्चक’ नामक परिव्राजक को जिन मुनिन्द ने प्रज्ञा-प्रदीप जला कर जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 6

विविध प्रकार की महा ऋद्धियों से सम्पन्न ‘नंदोपनंद’ नामक भुजंग को जिन मुनिन्द ने अपने पुत्र महामोदल्यायन स्थविर (थेर) द्वारा अपनी ऋद्धि शक्ति एवं उपदेश बल से जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 7

घोर मिथ्या दृष्टिरूपी सर्प द्वारा डसे गए विशुद्ध ज्योति और ऋद्धि शक्ति से युक्त ‘बक’ नामक ब्रह्मा को इन मुनिन्द ने ज्ञान रूप औषढि देकर जीत लिया, उन भगवान बुद्ध के तेज से तेरी जय हो, मंगल हो. 8

जो कोई पाठक बुद्ध की इन जय मंगल अट्ठगाथाओं को निरालस भाव से प्रतिदिन पाठ करता है, वह बुद्धिमान व्यक्ति नाना प्रकार के उपद्रवों से मुक्त होकर निर्वाण सुख प्राप्त कर लेता है. 9


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