डायमंड सूत्र: दुनिया की पहली मुद्रित पुस्तक की अनसुनी कहानी
जब हम किताबों और छपाई के इतिहास के बारे में सोचते हैं, तो हमारे दिमाग में अक्सर जर्मनी के योहानेस गुटेनबर्ग और उनके प्रिंटिंग प्रेस का नाम आता है। यह सच है कि गुटेनबर्ग ने 15वीं शताब्दी में प्रिंटिंग में क्रांति ला दी, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया की पहली मुद्रित पुस्तक उनसे लगभग 600 साल पहले ही छप चुकी थी? यह एक ऐसी कहानी है जो हमें यूरोप से दूर प्राचीन चीन की उन्नत सभ्यता की ओर ले जाती है। उस पुस्तक का नाम है डायमंड सूत्र।
यह Article आपको डायमंड सूत्र की आकर्षक दुनिया में ले जाएगा - इसकी खोज से लेकर इसकी तकनीक और ऐतिहासिक महत्व तक।
डायमंड सूत्र क्या है?
डायमंड सूत्र, जिसका संस्कृत में पूरा नाम 'वज्रच्छेदिका प्रज्ञापारमिता सूत्र' है, महायान बौद्ध धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। 'वज्र' का अर्थ हीरा या वज्र है, जो हर बाधा को काट सकता है, और 'प्रज्ञापारमिता' का अर्थ है 'ज्ञान की पराकाष्ठा'। यह सूत्र ज्ञान पर केंद्रित है, जो हमें सिखाता है कि दुनिया की सभी वस्तुएं और घटनाएं मूल रूप से मायावी या भ्रम हैं। यह हमें मोह और आसक्ति से मुक्त होकर ज्ञान प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। यह ग्रंथ संक्षिप्त होने के बावजूद बौद्ध धम्म दर्शन के गहरे सिद्धांतों को समेटे हुए है।
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एक अविश्वसनीय खोज की कहानी
इस अमूल्य पुस्तक की खोज की कहानी भी उतनी ही रोमांचक है। 20वीं सदी की शुरुआत में, एक ताओवादी भिक्षु वांग युआनलु चीन के दुनहुआंग में स्थित 'मोगाओ गुफाओं' की देखरेख करते थे, जिन्हें 'हजार बुद्धों की गुफाएं' भी कहा जाता है। 1900 में, उन्हें एक गुफा (गुफा संख्या 17) का गुप्त द्वार मिला, जिसे लगभग 900 वर्षों से सील कर दिया गया था।
अंदर का दृश्य हैरान करने वाला था। गुफा हजारों पांडुलिपियों, रेशम चित्रों और कलाकृतियों से भरी हुई थी, जिन्हें धूल और समय से बचाकर पूरी तरह से संरक्षित रखा गया था। 1907 में, ब्रिटिश-हंगेरियन पुरातत्वविद् सर ऑरेल स्टीन ने इस खजाने के बारे में सुना। उन्होंने वांग को मनाकर कई हजार पांडुलिपियां खरीद लीं, और उन्हीं के बीच में छिपी थी दुनिया की सबसे पुरानी, पूरी तरह से संरक्षित और दिनांकित मुद्रित पुस्तक - डायमंड सूत्र।
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छपाई की प्राचीन तकनीक: वुडब्लॉक प्रिंटिंग
डायमंड सूत्र को 'वुडब्लॉक प्रिंटिंग' नामक तकनीक का उपयोग करके मुद्रित किया गया था। यह तकनीक गुटेनबर्ग के मूवेबल टाइप से बहुत अलग थी।
- प्रक्रिया: इसमें, पाठ या चित्र को लकड़ी के एक ब्लॉक पर उल्टा उकेरा जाता था।
- स्याही लगाना: फिर, उभरे हुए हिस्सों पर स्याही लगाई जाती थी।
- छपाई: अंत में, कागज को ब्लॉक पर रखकर दबाया जाता था, जिससे स्याही कागज पर छप जाती थी।
डायमंड सूत्र की यह प्रति लगभग 16 फीट लंबा एक स्क्रॉल है, जिसे सात अलग-अलग कागज की शीटों को जोड़कर बनाया गया है। इसकी छपाई की गुणवत्ता और इसके शुरुआत में बना भगवान बुद्ध का सुंदर चित्र यह साबित करते हैं कि 9वीं शताब्दी तक चीन में यह तकनीक कितनी उन्नत हो चुकी थी।
यह प्रति इतनी खास क्यों है?
दुनिया भर में कई प्राचीन मुद्रित सामग्रियां मिली हैं, लेकिन डायमंड सूत्र को "दुनिया की पहली मुद्रित पुस्तक" का खिताब क्यों दिया जाता है? इसका कारण स्क्रॉल के अंत में लिखा एक कोलोफोन (प्रकाशन का विवरण) है। इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है:
"शियानतोंग के 9वें वर्ष के चौथे महीने की 15वीं तारीख को वांग जी ने अपने माता-पिता के सम्मान में सार्वभौमिक मुफ्त वितरण के लिए श्रद्धापूर्वक इसे बनवाया।"
जब इस चीनी कैलेंडर की तारीख को ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदला गया, तो यह तारीख निकली - 11 मई, 868 ईस्वी। यह सटीक तारीख ही इसे दुनिया की सबसे पुरानी दिनांकित (dated) मुद्रित पुस्तक बनाती है। यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि अपने समय का एक ऐतिहासिक प्रमाण है।
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ऐतिहासिक महत्व और आज का स्थान
डायमंड सूत्र का महत्व केवल धार्मिक या तकनीकी नहीं है, बल्कि यह विश्व इतिहास की हमारी समझ को भी चुनौती देता है।
- यूरो-केंद्रित दृष्टिकोण को चुनौती: यह साबित करता है कि प्रिंटिंग तकनीक का आविष्कार यूरोप से सदियों पहले एशिया में हो चुका था।
- ज्ञान का प्रसार: यह दर्शाता है कि उस समय भी ज्ञान और धार्मिक ग्रंथों को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाता था।
- चीन की उन्नत सभ्यता: यह तांग राजवंश के दौरान चीन की तकनीकी और सांस्कृतिक समृद्धि का एक जीवंत उदाहरण है।
आज, सर ऑरेल स्टीन द्वारा खोजी गई डायमंड सूत्र की यह अमूल्य प्रति लंदन के ब्रिटिश लाइब्रेरी में सम्मानपूर्वक रखी गई है, जहां दुनिया भर के लोग मानव इतिहास के इस महत्वपूर्ण मील के पत्थर को देख सकते हैं।
डायमंड सूत्र सिर्फ एक किताब नहीं है; यह मानवीय सरलता, ज्ञान की प्यास और विचारों को फैलाने की हमारी सदियों पुरानी इच्छा का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि इतिहास की कई महत्वपूर्ण खोजें और आविष्कार दुनिया के अलग-अलग कोनों में हुए हैं। अगली बार जब आप कोई मुद्रित पुस्तक उठाएं, तो गुटेनबर्ग के साथ-साथ वांग जी को भी याद करें, जिन्होंने आज से 1100 साल से भी पहले ज्ञान के प्रकाश को फैलाने के लिए इस अद्भुत कृति का निर्माण करवाया था।
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